तेरी याद न हुई,
कमबख्त शराब हो गई,
जितनी पुरानी,
उतना ही नशीली...maan
कमबख्त नींद न हुई,
पाकिस्तान हो गया,
न मुझको चैन,न उसको ..maan
ऐ नींद,
खत्म कर ले झगड़ा आज ,
अब न मैं जागू,न तू कभी आए..maan
मुझ में जमी तेरी यादें,
ज्यो कोई बच्चा रह गया था जम के,
कल रात मेरे सहर में,
बिना लिबास के..maan
सुन ऐ धड़कन,
ज़रा धीरे से चल,
उसकी यादों के दरमियाँ,
कोई शोर न हो ...maan
नहरे दिनों की काली यादों से उठकर देखा के,
हज़ारो उलझने है लोगो को यहाँ जीने की,
और मैं कमबख्त उस बेवफा पे मर रहा था
कहीं भूख से, कहीं ठण्ड से,लाचार कोई मर रहा था
मेरा पेट भरा,बंद कमरे में,
वर्क काले कर रहा था
बस इश्क़ की बात कर रहा था,.#maan
ग़र उल्फत होता खेल, तो जीतते ज़रूर,,
तेरे खुद से लौट आने के बहम में तुमको खो दिआ ...#maan
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