पिछले वक़्त जब तू गया था
पतझड़ आई थी
सब पत्ते बिखर गए थे
मैं उन सबको समेटे बैठा हू
हर रोज़
इन्ही पत्तो से बातें करता हू
अपने बीते वक़्त का हर लम्हा
इन्ही पत्तो पर उकरा हुआ है
जब भी यादों की सर्द हवा में
बदन सुन होने लगता है
होने या न होने का एहसास जम जाता है
तब सोचता हू के
इन् पत्तो को जला कर ज़िंदा रहू
पर जिस दिन
ये पत्ते जल जाएगे
मैं उस सूखे पेड़ की तरह मर जाउगा
ये नहीं के कमबख्त मरना नहीं मुझे
पर हर रोज़ एक पता जल के
तेरी यादों के साथ ज़िंदा रहने का सुकून
मुझे मरने नहीं देता
पतझड़ आई थी
सब पत्ते बिखर गए थे
मैं उन सबको समेटे बैठा हू
हर रोज़
इन्ही पत्तो से बातें करता हू
अपने बीते वक़्त का हर लम्हा
इन्ही पत्तो पर उकरा हुआ है
जब भी यादों की सर्द हवा में
बदन सुन होने लगता है
होने या न होने का एहसास जम जाता है
तब सोचता हू के
इन् पत्तो को जला कर ज़िंदा रहू
पर जिस दिन
ये पत्ते जल जाएगे
मैं उस सूखे पेड़ की तरह मर जाउगा
ये नहीं के कमबख्त मरना नहीं मुझे
पर हर रोज़ एक पता जल के
तेरी यादों के साथ ज़िंदा रहने का सुकून
मुझे मरने नहीं देता
अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteखूबसूरत 👌👌
ReplyDeleteखूबसूरत 👌👌
ReplyDeleteGazab
ReplyDeleteBahut khoobsurti se bayaan kiya
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